उत्तराखंड

सीएम धामी ने इंटरनेशनल खिलाड़ियों संग किया मॉर्निंग वॉक, जांची फिटनेस

आज प्रात: ओएनजीसी अंबेडकर स्टेडियम में प्रातः काल भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों के साथ जॉगिंग के दौरान खिलाड़ियों और खेल भावना से युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए अनेक बिंदुओं पर सार्थक पहल के साथ जागरूक करने की बात की।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों एवं स्थानीय लोगों के साथ स्थानीय टी स्टॉल पर एक सामान्य नागरिक की भांति सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का भी फीडबैक लिया। जनता के फीडबैक को सीएम धामी का ‘अनूठा’ तरीका जिलों के भ्रमण के अलावा राजधानी में भी आमजन से लेते हैं फीडबैक मसूरी चिंतन शिविर में नीति नियंताओं को अपनी इस आदत का करा चुके हैं एहसास।

22 साल का उत्तराखंड अब एक युवा की भांति उस मुहाने पर खड़ा है जहां से उसके भविष्य की ठोस नींव डाली जाएगी। इस मोड़ पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक मार्गदर्शक और कुशल नेतृत्वकर्ता की भूमिका में नजर आ रहे हैं। 2025 तक उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने का धामी ने जो संकल्प लिया है उस दिशा में वे निरंतर आगे बढ़ रहे हैं।

गौरतलब है कि धामी 2.0 की शुरुआत से ही उनका विज़न बेहद स्पष्ट है कि वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को देश में अग्रिम पायदान पर लाना है। इस हेतु सीएम धामी 2.0 के शुरू दिन से अफसरशाही को बार-बार बैठकों या आयोजनों में इसके लिये दिन रात एक करने के गुर देते रहे हैं। हाल ही में धामी ने जिलों के भ्रमण के दौरान एक नई शुरुआत की है जिसके तहत वह सुबह सवेरे मॉर्निंग वॉक के बहाने आम जनता के बीच पहुँचते हैं। उस दौरान उनके साथ कोई लाव-लश्कर भी नहीं होता। ऐसे में बात रुद्रप्रयाग की रही हो, मसूरी की या फिर आज देहरादून की। धामी इन गुपचुप दौरों के जरिये आवाम से सीधे रूबरू होते हैं और जनता से सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर फीडबैक हासिल करते रहते हैं। खुद, धामी ने मसूरी चिंतन शिविर के दौरान आईएएस अफसरों के समक्ष इस बात का खुलासा किया था कि उनके हर कदम को वह खुद मॉनिटर करते हैं। यहां तक की चिंतन शिविर में उन्होंने बताया कि कुछ जगहों पर बातचीत में जनता ने उनसे कहा कि आपके चीफ सेक्रेटरी तो बहुत अच्छे हैं लेकिन उतना बढ़िया काम जिलों में नहीं हो पा रहा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि जिले की समस्याएं जिलों में ही निस्तारित हो। लोगों को उन तक न आना पड़े। इस बात के जरिये धामी ने स्पष्ट रूप से अफसरशाही को संदेश दिया कि वे सभी उनकी मॉनिटरिंग से गुजर रहे हैं। खैर, एक युवा प्रदेश के लिए एक युवा मुख्यमंत्री की यह पहल न केवल काबिलेतारीफ है बल्कि आम जनता में भी इसे लेकर खुशी है कि सूबे का मुखिया खुद उनसे फीडबैक लेता है।

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Author: Pawan Rawat
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