माघ पूर्णिमा के अवसर पर स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ ही दूसरे जिलों व पड़ोसी राज्यों से श्रद्धालुओं का सुबह से ही पहुंचना शुरू हो गया था। सुबह नौ बजकर 43 मिनट से शुरू हुई माघ पूर्णिमा 10 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी।
माघ पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद श्रद्धालुओं ने दान किया और भोजन कराया। सुबह ब्रह्म मुहुर्त में ही घाट पर स्नान करने वालों की भीड़ लगी रही। माघ पूर्णिमा के अवसर पर स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ ही दूसरे जिलों व पड़ोसी राज्यों से श्रद्धालुओं का सुबह से ही पहुंचना शुरू हो गया था।
हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया और इसके बाद ब्राह्मणों को उचित दान-दक्षिणा दी। इसके साथ ही मंदिरों में जाकर भगवान के दर्शन किया। श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मास्क लगाना अनिवार्य है। सनातन धर्म में पूर्णिमा का अलग महत्व है। इस दिन चांद अपनी पूर्ण अवस्था में होता है। यह मान्यता है कि लोगों की हर कामनाएं पूर्ण होती हैं।
पूजा और व्रत का शुरू से ही महत्व रहा है। भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी के प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं। ऐसे में इस दिन पूजा-पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हर माह की पूर्णिमा का अपना अलग-अलग महत्व होता है। ऐसे में इस माह माघ में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा कहा जाता है।
हरिद्वार गंगा घाट पर बुधवार सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि माघ पूर्णिमा के अवसर पर स्नान पर कोई रोकटोक नहीं है। यात्रियों को मास्क व कोरोना गाइडलाइन का पालन कराया जा रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार माघ पूर्णिमा पर खास संयोग बन रहे हैं। प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि माघ पूर्णिमा को कर्क राशि में चंद्रमा और आश्लेषा नक्षत्र की युति होने से शोभन योग बन रहा है। यह योग काफी शुभ माना गया है। नारायण ज्योतिष संस्थान के विकास जोशी ने बताया कि बुधवार को माघ पूर्णिमा के साथ ही पवित्र माघ मास का समापन हो जाएगा। माघ माह में जिन लोगों ने पूरे माह स्नान, दान, तप, मंत्र जप इत्यादि कर्म किए हैं, उनके लिए माघ पूर्णिमा विशेष दिन होता है। पंडित हरिओम शास्त्री ने के अनुसार हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार माघ पूर्णिमा पर खास संयोग बनने के कारण इस दिन विधि विधान से पूजन करने से कई तरह की आर्थिक परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। और मन्नतें भी पूरे की जा सकती हैं। गंगा स्नान करने के साथ ही यहां लोगों ने पूजा पाठ किया। इस दिन कुछ लोग अपने एक महीने के तप की पूर्णाहुति करते हैं। इसके अलावा जिन लोगों ने पूरे माह माघ स्नान नहीं किया है। वे भी पूर्णिमा के एक दिन पवित्र नदियों के जल से स्नान करके अपने शुभ पुण्य कर्मों में वृद्धि कर सकते हैं। माघ पूर्णिमा बुधवार को सुबह नौ बजकर 43 मिनट से शुरू हुई और रात 10 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है।