भैयादूज के अवसर पर अपराह्न 12 बजकर 15 मिनट पर यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। इस अवसर पर यमुनोत्री मंदिर समिति तथा उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अधिकारी-कर्मचारी, तीर्थपुरोहित तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे। इस दौरान बारिश एवं बर्फबारी हुई।परंपरानुसार 15 नवंबर को शनिदेव जी अपनी बहन यमुना को मिलने यमुनोत्री धाम आ गये थे, शनिदेव भैयादूज के अवसर पर बहन को मायके आने का न्यौता देते हैं।
कपाट बंद होने के पश्चात मां यमुना की उत्सव डोली खरसाली के लिए प्रस्थान हुई। खरसाली को मां यमुना का मायका कहा जाता है। शीतकाल में छह माह मां यमुना खरसाली में प्रवास करती है, यहीं मां यमुना की शीतकालीन पूजा-अर्चना की जाती है।मंदिर को फूलों से सजाया गया यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को फूलों से सजाया गया था। इस अवसर पर यमुनोत्री मंदिर समिति अध्यक्ष / उप जिलाधिकारी बड़कोट चतर सिंह चौहान, देवस्थानम बोर्ड के विशेष कार्याधिकारी/ प्रभारी अधिकारी यमुनोत्री एएस नेगी, मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल, अनोज उनियाल, आशुतोष उनियाल पुलिस प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी तथा तीर्थ पुरोहित मौजूद रहे।
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष यमुनोत्री धाम में आठ हजार श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे। यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के साथ ही आज प्रात: केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गए, जबकि गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर को अन्नकूट के अवसर पर बंद हुए। बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को सायंकाल 03 बजकर 35 मिनट पर शीतकाल हेतु बंद होंगे।