उत्तराखंड में पिछले 10 वर्षों के अंतराल में तेजी से बढ़े मतदाताओं की संख्या के कारणों की अब राज्य स्तर पर जांच होगी। भारत निर्वाचन आयोग के आदेश पर राज्य निर्वाचन आयोग ने 9 जनवरी, 2023 को समस्त जिलाधिकारी एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर हर जिले में जिला स्तर, विधानसभा क्षेत्र स्तर और मतदान केंद्र स्तर पर कमिटियों का गठन कर त्वरित जांच करने का आदेश दिया है।
वर्ष 2022 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन ने पिछले 10 वर्षों में राज्य में मतदाताओं की संख्या में हुई अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी को लेकर निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के आधार पर विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी । एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड में मतदाताओं की बढ़ोत्तरी की तुलना उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और गोवा के मतदाताओं से की थी जहां उस दौरान एक साथ विधान सभा चुनाव हुए थे। इन सभी राज्यों में उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई थी। एसडीसी फाउंडेशन ने इस संबंध में एक रिपोर्ट ‘डेमोग्राफिक चेंजेज, डिस्ट्रिक्ट अपडेट एंड कॉन्सिट्वेंसी नंबर्स’ जारी की थी । रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 से 2022 के बीच उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई जबकि पंजाब मे 21 प्रतिशत , उत्तर प्रदेश मे 19 प्रतिशत, मणिपुर मे 14 प्रतिशत और गोवा मे 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
इस रिपोर्ट के आधार पर पूर्व आईएफएस अधिकारी और उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. वीके बहुगुणा ने मुख्य चुनाव आयुक्त से पहले प्रधानमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भी इस बारे में पत्र लिखे थे और लगातार मामले की जांच करवाने की मांग करते रहे। उन्होंने कहा था कि मतदाताओं की संख्या में इस असामान्य बढ़ोतरी से उत्तराखंड की सांस्कृतिक अखंडता को खतरा पैदा हो गया है। डॉ. बहुगुणा ने यह भी कहा था कि उत्तराखंड की कैरिंग कैपेसिटी कई साल पहले ही खत्म हो चुकी है, ऐसे में अनूप नौटियाल के नेतृत्व में एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट सभी नीति निर्माताओं और सामान्य लोगों के लिए एक चेतावनी है।
करीब 10 महीने बाद आखिकार भारत निर्वाचन आयोग ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को पूरे राज्य में मामले की जाँच करने के आदेश दिये हैं । राज्य निर्वाचन आयोग ने इस आधार पर जिले, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र में कमेटियां गठित करने का आदेश सभी जिलाधिकारियों और जिला निर्वाचन अधिकारियों को भेजा है।