एम्स में बेड न मिलने से नवजात ने रास्ते में तोड़ा दम, डेढ़ घंटा डॉक्टर के आगे गिड़गिड़ाते रहे परिजन। बच्चे के पिता ने बताया कि चिकित्सक ने नीकू वार्ड में बेड उपलब्ध नहीं होने की बात कही थी। जिसके बाद वह और उनकी पत्नी करीब डेढ़ घंटे तक चिकित्सक की मिन्नते करते रहे। लेकिन जब बेड नहीं मिला तो वे नवजात को लेकर जौलीग्रांट अस्पताल के लिए रवाना हो गए। यहां अस्पताल के बाहर उन्होंने देखा की नवजात की सांस रुक चुकी है।मंगलवार को उपचार न मिलने पर उत्तरकाशी की महिला और उसके गर्भस्थ शिशु की मौत के अगले दिन बुधवार को रुड़की के एक नवजात ने समय पर उपचार न मिलने से दम तोड़ दिया।
गंभीर संक्रमण से पीड़ित 12 दिन के नवजात को उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश लाया गया था। यहां स्थित नीकू वार्ड में उसे बेड नहीं मिल सका। एम्स से जौलीग्रांट अस्पताल ले जाने के दौरान नवजात ने रास्ते में ही दम तोड़ दियारुड़की के ढंढेरा फाटक निवासी भूपेंद्र गुसाईं के 12 दिन के बच्चे का स्वास्थ्य अचानक बिगड़ गया। बच्चे का पेट फूलने लगा और उसको तेज बुखार आ गया।
30 जुलाई को भूपेंद्र ने नवजात को रुड़की के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। चिकित्सकों के अनुसार नवजात लेट ऑनसेट नियोनेटल सेप्सिस (अनियंत्रित और गंभीर संक्रमण) से पीड़ित था।भूपेंद्र ने बताया कि चिकित्सकों ने उन्हें नवजात को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराने की सलाह दी। एक अगस्त को वह एंबुलेंस के जरिये नवजात को एम्स लेकर पहुंचे। शाम करीब 7.30 बजे वह एम्स की इमरजेंसी पहुंचे। यहां तैनात चिकित्सकों ने बच्चे को देखा और उसे नीकू वार्ड में भर्ती कराने की आवश्यकता बताई। परिजनों ने बताया कि कुछ देर बाद उन्हें बताया गया कि नीकू वार्ड में बेड ही उपलब्ध नहीं है। भूपेंद्र का आरोप है कि उन्होंने और उनकी पत्नी नीलू ने करीब सवा घंटे तक चिकित्सकों की मिन्नतें कीं, लेकिन बच्चे को भर्ती नहीं किया गया। करीब नौ बजे वह नवजात को लेकर जौलीग्रांट अस्पताल के लिए रवाना हो गए। लेकिन अस्पताल पहुंचने तक नवजात दम तोड़ चुका था।
पिता की गुहार, ऐसा किसी और बच्चे के साथ न हो। मृतक बच्चे के पिता भूपेंद्र का कहना है कि अगर समय पर उपचार मिल जाता तो उनके बच्चे की जान बच जाती। उन्होंने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से गुहार लगाई कि और किसी बच्चे के साथ ऐसा न हो, इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए। बच्चे को ऑक्सीजन सपोर्ट पर इमरजेंसी में भर्ती किया गया था, लेकिन उसे नीकू वार्ड में भर्ती करने की आवश्यकता थी। नीकू वार्ड में बेड उपलब्ध नहीं था। इसलिए नवजात का तत्काल उपचार संभव नहीं था।
अब एम्स प्रशासन ने लापरवाही के आरोपों पर सफाई दी है। संस्थान के अधिकारियों का दावा है कि पीडियाट्रिक वार्ड के इंसेंटिव केयर यूनिट में आईसीयू बेड 24 हैं, जोकि बच्चे को लाने के दौरान फुल थे। जबकि, बच्चे का अन्य प्राथमिक उपचार संस्थान में तत्काल किया गया।
