देहरादून । मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत गैरसैंणियत की भावना को सलीके से सम्मान दे रहे हैं। कुमाऊं और गढ़वाल के केन्द्र बिन्दु गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद त्रिवेन्द्र सरकार अब यहां उन बुनियादी सुविधाओं को जुटा रही है जो राजधानी क्षेत्र का मूल आधार होती हैं। इस कड़ी में दीवालीखाल-भराड़ीसैंण मोटर मार्ग का चौड़ीकरण किया जा रहा है, साथ ही यहां रामगंगा नदी में चौरड़ा नामक स्थान पर एक बहुपयोगी जलाशय का निर्माण भी होना है।
जलाशय बनाने में टैक्निकल सपोर्ट दे रहे ‘उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र’ (यूसैक) का दावा है कि इस जलाशय के निर्माण के बाद ग्रीष्मकालीन राजधानी क्षेत्र में अगले 50 वर्षों तक पानी की कमी महसूस नहीं होगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का मानना है कि छोटे-छोटे जलाशय बनाकर ग्रेविटी वाटर का इस्तेमाल सिंचाई व पेयजल जैसी जरूरतों के लिए किया जा सकता है। सूर्यधार झील का निर्माण उनकी इसी सोच के आधार पर किया गया जो एक सफल प्रयोग के रूप में सामने आया। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए अब गैरसैंण में एक जलाशय का निर्माण किया जा रहा है। प्रस्तावित बांध के निर्माण में लगभग 4.95 हेक्टेयर वन पंचायत भूमि का उपयोग किया जाएगा। बीते 25 नवम्बर को केन्द्र सरकार के जल शक्ति विभाग ने इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति दे दी है। केन्द्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से बहुपयोगी जलाशय का निर्माण किया जाएगा।
यूसैक के निदेशक एम.पी.एस. बिष्ट के मुताबिक उनका संस्थान कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग को जलाशय निर्माण के लिए टैक्निकल गाइडलाइन दे चुका है। उपग्रहीय आंकड़ों की सहायता से जलाशय निर्माण का मानचित्रिकरण व फील्ड सर्वेक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि गैरसैंण के पास रामगंगा नदी पर 1614 मीटर की ऊंचाई पर करीब 700 मीटर लंबी व 25 मीटर तक चौडा जलाशय बनाया जाएगा। इसके निर्माण का जिम्मा सिंचाई खंड थराली को सौंपा गया है, जबकि इसकी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) इरिगेशन डिजाइन ऑर्गेनाइजशन, रुड़की बना रहा है। आने वाले कुछ ही महीनों में यह जलाशय अपना आकार ले लेगा। इसके निर्माण के बाद गैरसैंण क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई के पानी की किल्लत बीते जमाने की बात हो जाएगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत खुद गैरसैंण में जलाशय निर्माण स्थल का स्थलीय निरीक्षण कर चुके हैं।