कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के पद पर नियुक्ति को लेकर घमासान मचा हुआ है। जिलों की कार्यकारिणी इस्तीफा दे रही हैं। इस बीच नाराज विधायकों के बुधवार को देहरादून में बैठक बुलाए जाने की खबर सोशल मीडिया में वायरल हुई। इसे लेकर दिन भर कांग्रेस में हलचल मची रही।
प्रदेश अध्यक्ष ने भी विधायकों से संपर्क कर असल स्थिति को भांपने की कोशिश की। अध्यक्ष समेत अन्य बड़े नेताओं ने इस तरह की किसी भी बैठक की जानकारी होने से इंकार किया। कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के पद पर हुए चयन को लेकर नाराजगी जताई जा रही है। पार्टी का एक धड़ा इस चयन में गढ़वाल की अनदेखी की बात कर रहा है।
तो कई लोग पार्टी के पुराने भरोसेमंद लोगों की अनदेखी का आरोप लगा रहा है। केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष के पद पर करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष के पद पर यशपाल आर्य का चयन किया है। आर्य 2017 में कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए थे। 2017 की भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे। ऐन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले आर्य ने दोबारा कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी।
अब उन्हें सीधे फिर नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा दिया जाना, कई विधायकों को हजम नहीं हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष पद पर करन माहरा की तैनाती को कांग्रेस के भीतर ही क्षेत्रीय असंतुलन बता कर विरोध जताया जा रहा है। इस बीच बुधवार को नाराज कांग्रेसी विधायकों की बैठक की सूचना ने कांग्रेस को असहज कर दिया।
दिन भर विधायकों की लोकेशन की पड़ताल होती रही। उनसे संपर्क कर उनकी नाराजगी की स्थिति को भांपा गया। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इस तरह की सूचनाओं को भ्रामक करार दिया। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भी कहा कि उन्हें इस तरह की किसी भी बैठक की कोई सूचना नहीं है।
नाराज प्रीतम समेत गोदियाल से मिले आर्य नेता प्रतिपक्ष बनाए गए यशपाल आर्य मंगलवार को जनसंपर्क अभियान पर निकले। सुबह उन्होंने नाराज प्रीतम सिंह से मुलाकात की। दोपहर में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। यमुना कालोनी प्रीतम सिंह के आवास पर मुलाकात के दौरान आर्य ने उनसे नई जिम्मेदारी के निर्वहन को सहयोग मांगा। प्रीतम ने भी बैठक को एक सामान्य शिष्टाचार बैठक बताया।