ऋषिगंगा में जल प्रलय के बाद तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे तीन इंजीनियरों समेत 35 कर्मचारियों तक पहुंचने में सुरंग के जरिए भारी मात्रा में आ रहा मलबा बचाव दल के समक्ष बड़ी बाधा बनकर सामने आया है। अभी तक आपदा में 170 लोग लापता हैं। 34 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जिनमें से नौ लोगों की शिनाख्त हो चुकी है। 12 मानव अंग क्षत-विक्षत हालत में मिले हैं। हेलीकॉप्टर से लगातार नीती घाटी के गांवों में राहत सामग्री वितरित की जा रही हैं।आपदा में बहे लोगों की नदी किनारे खोज जारी है।
पुलिस, एसडीआरएफ व एसएसबी के जवान लगातार नदी किनारे अभियान में जुटे हैं। बृहस्पतिवार को तीन शव और मिले। दो शव अलकनंदा किनारे गलनाऊं के पास और एक शव जिलासू के पास मिला। तहसीलदार सोहन सिंह रांगड़ ने कहा कि शव मिलने की सूचना पर प्रशासन की टीम मौके के लिए रवाना हो गई है। यह शव आपदा में लापता लोगों के होने की आशंका है। वहीं, चार शवों और सात मानव अंगों का अंतिम संस्कार किया गया। तहसीलदार सोहन सिंह रांगड़ ने बताया कि सात फरवरी को आई आपदा के बाद अलकनंदा नदी किनारे अलग-अलग स्थानों पर कुल पांच शव मिले थे, जिनमें से एक शव की शिनाख्त हो गई थी। बाकी चार शवों और सात मानव अंगों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। उनके डीएनए सैंपल लेकर सुरक्षित रखने के बाद पुलिस-प्रशासन और नगरपालिका ने कर्णप्रयाग घाट पर अलकनंदा नदी किनारे उनका अंतिम संस्कार कर दिया।