उत्तराखंड

फॉरेस्ट गार्ड भर्ती नकल के मुकदमे से बरी कई अभ्यर्थियों को आयोग ने दस्तावेज सत्यापन को बुलाया, ये है वजह

देहरादून| बहुचर्चित फॉरेस्ट गार्ड भर्ती नकल के मुकदमे से बरी कई अभ्यर्थियों के लिए नौकरी की राह खुल गई है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने उक्त अभ्यर्थियों को नियुक्ति से पहले दस्तावेजों के सत्यापन की औपचारिकता पूरी करने के लिए बुला लिया है। आयोग इस माह के अंत तक वन विभाग को उन्हें नियुक्ति देने की सिफारिश कर देगा।

फॉरेस्ट गार्ड भर्ती में ब्लूटूथ से नकल करने का मामला सामने आने पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज करते हुए 47 युवाओं को आरोपी बनाया था। इसमें से नौ अभ्यर्थी शारीरिक परीक्षा के बाद अंतिम मेरिट लिस्ट में शामिल होने में कामयाब रहे थे। आयोग ने नकल के आरोप के चलते इन अभ्यर्थियों के अलावा शेष को नियुक्ति दे दी थी। इस बीच अपने खिलाफ केस लंबित नहीं होने का तर्क देते हुए उक्त नौ अभ्यर्थियों ने वर्तमान में आयोग से नियुक्ति देने की मांग की।

इस पर आयोग ने कार्मिक विभाग से परामर्श मांगा था। अब शासन ने इस प्रकरण में कोर्ट के आदेशों को देखते हुए, उक्त नौ अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ाने को हरी झंडी दिखा दी। इसके बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने इन नौ अभ्यर्थियों को दस्तावेजों के सत्यापन के लिए 15 नवंबर को मुख्यालय बुलाया है। इनके दस्तावेज सही पाए गए तो आयोग नियुक्ति की सिफारिश कर देगा।

यह था मामला: फॉरेस्ट गार्ड के 1268 पदों पर भर्ती के लिए मई 2018 में विज्ञापन जारी किया गया था। इसकी लिखित परीक्षा 16 फरवरी 2020 को आयोजित की गई। इसमें ब्लूटूथ के जरिए नकल करने का मामला सामने आया था। खुद पीड़ित छात्रों ने पौड़ी और मंगलौर में मुकदमा दर्ज कराया था। इस पर हरिद्वार पुलिस ने एसआईटी गठित करते हुए 11 लोगों को गिरफ्तार किया था। साथ ही 47 चयनित अभ्यर्थियों को नकल करने वालों के रूप में चिह्नित किया था। पर इस मुकदमे में सरकार या आयोग को पार्टी नहीं बनाया गया। बाद में इस मामले में वादी और आरोपियों के बीच समझौता हो गया, जिसके चलते अदालत में केस खारिज हो गया। ऐसे में सभी आरोपी कुछ ही महीने के भीतर जेल से छूट गए। इस तरह एफआईआर, गिरफ्तारियों के बावजूद नकल के आरोपित कानूनी तौर पर प्रमाणित नहीं हो पाए। प्रगति नहीं हो पाई।

इस मामले में शासन का जवाब आ गया है। न्याय विभाग स्पष्ट किया है कि इसमें अब कानूनी रूप से सरकार का पक्ष काफी कमजोर है। केस हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में सरकार भी पार्टी बनी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके चलते नियुक्ति देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसी क्रम में चिह्नित नौ अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया है। -एसएस रावत, सचिव, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग

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