उत्तरकाशी। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा द्वारा मंडुवे की नई प्रजाति तैयार की है। जिसमें मंडूवे का रंग भूरे के बजाये सफेद है। संस्थान के वैज्ञानिक इस प्रजाति के उत्पादन और पौष्टिकता को लेकर काफी खुश हैं।
मंडुवा का उत्तराखंड के पहाड़ की परंपरागत फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य करीब 135 हजार हेक्टेयर भूमि पर मंडुवा का उत्पादन होता है। पौष्टिक तत्वों से भरभूर होने के बाद भी मंडुवा का आटा 20 से 25 रुपये प्रति किलो की बिक रहा है। रंग के कारण बाजार में अभी मंडुवा की मांग कम है, लेकिन विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत कहते हैं कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने वीएल मंडुवा-382 नामक प्रजाति को तैयार कर दिया है। तीन वर्षों तक उत्तराखंड में संस्थान के अलग-अलग परीक्षण केंद्रों में सफेद मंडुवा का उत्पादन किया गया। मंडुवा की यह प्रजाति सफेद अजान की एक विशेष किस्म है। जिसे 13 अप्रैल, 2016 को कृषि निदेशालय, देहरादून में आयोजित राज्य प्रजाति परीक्षण बैठक के दौरान उत्तराखंड में रिलीज के लिए चिह्नित किया गया है।
भूरे रंग के वीएल मंडुवा-324 के प्रति 100 ग्राम में कैल्शियम 294 मिलीग्राम और प्रोटीन 6.6 फीसद है। जबकि सफेद मंडुवा की वीएल मंडुवा-382 के प्रति 100 ग्राम में कैल्शियम 340 ग्राम और प्रोटीन सामग्री 8.8 फीसद है। उन्होंने कहा कि एक सफेद अनाज जीनोटाइप होने के नाते, वीएल मंडुवा-382 किसानों को भूरे रंग के मंडुवे की किस्मों के लिए एक नया विकल्प प्रदान करेगा। अपने उच्च पौष्टिक मूल्य और सफेद रंग के दाने के चलते यह भूरे रंग के बीज वाली किस्मों की तुलना में बहुत अधिक पसंद की जाने वाली प्रजाति होगी।