उत्तराखंड

केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हुए

केदारनाथ धाम : 16 नवंबर। बारिश एवं बर्फवारी के साथ  विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ धाम के कपाट आज भैयादूज के अवसर पर प्रात: 8.30 बजे  शीतकाल के लिए बंद हो गये है। प्रात: तीन बजे से मंदिर खुल गया श्रद्धालुगणो ने दर्शन किये इसके पश्चात मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने बाबा की समाधि पूजा संपन्न की तथा साढे छ: बजे  भगवान भैरवनाथ को साक्षीमानकर गर्भगृह को बंद किया गया। तथा साढ़े आठ बजे सभा मंडप तथा मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया। इस अवसर पर उप्र के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत,
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के औद्योगिक सलाहकार डॉ के.एस. पंवार, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग  मनुज गोयल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह, एसपी रूद्रप्रयाग नवनीत भुल्लर, प्रशासनिक/ मंदिर अधिकारी युद्धवीर पुष्पवान, भैरवनाथ के पश्वा अरविंद शुक्ला, सुभाष सेमवाल सहित तीर्थ पुरोहित एवं हजारों श्रद्धालु  मौजूद रहे । देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि  इस यात्रा वर्ष  135023 एक लाख पैंतीस हजार तेईस श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये।

बाबा के जय घोष के साथ डोली ने प्रथम पड़ाव रामपुर हेतु प्रस्थान किया जहां  देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एन.पी.जमलोकी, कोषाध्यक्ष आर सी तिवारी एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल उत्सव डोली की अगवानी करेंगे। 17 नवंबर मंगलवार को उत्सव डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी तथा  18 नवंबर को उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में विराजमान हो जायेगी।इसी के साथ बाबा केदारनाथ की शीतकालीन पूजाएं भी शुरू हो जायेंगी।

उल्लेखनीय है कि गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर शीतकाल के लिए बंद हो गये। यमुनोत्री धाम के कपाट पूर्वाह्न 12 बजकर 15 मिनट पर बंद हो रहे । बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को शायं 3 बजकर 35 मिनट पर बंद होंगे। द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट भी 19 नवंबर सुबह 7 बजे बंद हो रहे है। मद्महेश्वर मेला 22 नवंबर को आयोजित हो रहा है । तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 4 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो गये हैं।

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Author: Pawan Rawat
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