विकासनगर: समाल्टा गाँव में प्रवासी भगवान चालदा महाराज के मंदिर में मनाई गई बिस्सू की फूलिया, लोक संस्कृती की दिखी अनोखी छटा
बताते चलें बुधवार को कालसी के समाल्टा गाँव स्थित प्रवासी भगवान चालदा महाराज के मंदिर में बिस्सू पर्व की फूलियात मनाई गई इस दौरान लोक संस्कृती की अनोखी छटा यहाँ देखने को मिली। अपनीअनूठी लोक संस्कृति के लिये पहचानने जाने वाले जौनसार बावर में पांच दिवसीय प्रसिद्ध बिस्सू पर्व की शुरुआत हो गई है।
जौनसार बावर के तमाम गाँवो में बिस्सू की फूलियात का विशेष महत्व होता है जिसमें बुरांश के मनमोहक फूलों के झुरमुट बनाकर लोक देवताओं के मंदिर प्रांगण में सामूहिक लोक नृत्य किया जाता है साथ ही खुशहाली का प्रतीक माने जाने वाले बुरांश के फूलों से मंदिरों को घरों को सजाया जाता है। पारंपरिक बिस्सू को पांचों दिन अलग अलग तौर तरीकों के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस बार समाल्टा खत के समाल्टा गाँव में बिस्सू पर्व बड़े ही भव्य तौर पर धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है। दरअसल पिछले पाँच माह से प्रवासी भगवान चालदा महाराज समाल्टा गाँव में विराजमान हैं लिहाजा इस बार का बिस्सू पर्व समाल्टा खत के तमाम गाँवों के लिये विशेष महत्व रखता है क्योंकि उनके इष्ट देवता इस बार उनके बीच हैं उनके साथ हैं।
बुधवार सुबह से ही आसपास के तमाम गाँवो के हजारों लोगों का हुजूम बिस्सू की फूलियात मनाने समाल्टा गाँव पहुँच गया। परंपरानुसार ग्रामीण अपने अपने गाँव से पैदल यात्रा लेकर बुरांस के फूलों की फूलियात लेकर नाचते गाते मंदिर प्रांगण में पहुँच रहे हैं जहाँ लोक गीतों व ढोल दमऊ एवं अन्य स्थानीय वाद्ययंत्रो की धूनो पर पारंपरिक वेशभूषा में सामूहिक लोक नृत्य किया गया जिसके बाद ग्रामीणों ने कतार में खड़े होकर विधिवत चालदा महाराज के दर्शन कर धर्म लाभ कमाया। हनोल के चालदा भगवान प्रवासी देवता माने जाते हैं जो अपने अधिकार क्षेत्र में जगह बदल-बदल कर प्रवास पर रहते हैं इसी क्रम में चालदा महाराज 67 सालों बाद समाल्टा गाँव में प्रवास पर पहुँचे हैं जिसके चलते इस बार यहाँ बिस्सू की फूलियात को भव्य स्तर पर मनाया जा रहा है। आयोजकों द्वारा श्रद्धालुओं के रात्रि विश्राम और भंडारे का विशेष प्रबंध किया गया है। आपको बता दें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड के जौनसार बावर एंव उत्तरकाशी की यमुना घाटी के लाखों लोगों में चालदा महासू महाराज को लेकर विशेष आस्था है।