उत्तराखंड

हरिद्वार: सोमवती अमावस्या पर उमड़ा आस्था का सैलाब, 34 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी

Somvati Amavasya 2022: सोमवती अमावस्या पर टूटा कुंभ का रिकॉर्ड, 34 लाख श्रद्धालुओं ने किया स्नान कोरोना काल के बाद गंगा घाट पर यह पहला ऐसा स्नान हुआ जिसमें अपार भीड़ उमड़ी। उत्तर प्रदेश सहित हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात समेत देश के अन्य राज्यों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और गंगा में डुबकी लगाई।

सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान के लिए सोमवार को आस्था का सैलाब उमड़ा। सुबह से लेकर शाम तक हरकी पैड़ी समेत गंगा घाटों पर हुजूम रहा। 34 लाख श्रद्धालुओं के गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से 2021 कुंभ में सोमवती अमावस्या के शाही स्नान की भीड़ का रिकॉर्ड भी टूट गया। हरकी पैड़ी श्रद्धालुओं से ठसाठस भरी रही। श्रद्धालुओं ने स्नान और पूजन कर दान-पुण्य किया। ब्राह्मणों को दक्षिणा दी और गरीबों को भोजना कराया।

सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान का अलग महत्व है। बाहरी प्रदेशों से श्रद्धालुओं ने रविवार की रात से ही हरिद्वार में डेरा जमा लिया था। गंगा घाटों पर रात 12 बजे से चहल पहल शुरू हो गई थी। सुबह चार बजे से हरकी पैड़ी और अन्य गंगा घाटों पर हर-हर गंगे के जयघोष के साथ डुबकी लगानी शुरू हो गई। कोरोना काल के बाद गंगा घाट पर यह पहला ऐसा स्नान हुआ जिसमें अपार भीड़ उमड़ी। उत्तर प्रदेश सहित हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात समेत देश के अन्य राज्यों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और गंगा में डुबकी लगाई।हरकी पैड़ी पर सुबह चार बजे से रात आठ बजे तक पैक रही। शाम की आरती में बैठना तो दूर खड़े होने तक की जगह नहीं मिली।

कांगड़ा घाट, महिला घाट, मालवीय द्वीप घाट, शिवघाट, सुभाष घाट, गोविंदपुरी घाट, ऋषिकुल घाट, महर्षि कश्यप घाट, प्रेमनगर आश्रम घाट भी स्नान करने वाले श्रद्धालुओं से पैक रहे। पुलिस के मुुताबिक करीब 34 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। पिछले साल कुंभ में सोमवती अमावस्या के शाही स्नान पर 31 लाख 23 हजार श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई थी। जबकि कुंभ में ही महाशिवरात्रि के शाही स्नान पर भी 32 लाख 37 हजार श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया था। सोमवार को सोमवती अमावस्या स्नान में श्रद्धालुओं ने कुंभ के शाही स्नानों की भीड़ को भी पीछे छोड़ दिया।

स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने धार्मिक अनुष्ठान किए। मां गंगा का दुग्धाभिषेक कर पूजन-अर्चन किया। ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर भोजन भी कराया। भोर के साथ ही गंगा के तट पर स्थित देवालय में घंटे घड़ियालों के स्वर गुंजायमान रहे। श्रद्धालुओं ने तीर्थ पुरोहितों के माध्यम से विधि-विधान पूर्वक अपने पितरों का तर्पण कराया। बालक-बालिकाओं के मुंडन संस्कार भी संपन्न हुए। सोमवती अमावस्या पर्व के चलते तीर्थ पुरोहितों कि काफी व्यस्तता रही। उनके चेहरे खिले हुए नजर आए।नारायणी शिला पर रही भीड़

देवपुरा चौक स्थित नारायणी शिला मंदिर पर सुबह तीन बजे से ही लोग लाइनों में लगना शुरू हो गए थे। सुबह पांच बजे जैसे ही मंदिर के कपाट खुले तो श्रद्धालुओं ने पितर अमावस्या पर पिंडदान व तर्पण आदि कार्य कराए। इसके साथ ही स्थानीय श्रद्धालुओं ने दूध व काले तिलों से नारायणी शिला पर अभिषेक पर देव-पितरों से आशीर्वाद बनाए रखने की कामना की। तीन बजे से ही खुल गए थे बाजार

धर्मनगरी के बाजार सुबह सात बजे के बाद ही खुलने शुरू होते हैं और रात में 12 बजे बंद होते हैं। मगर सोमवार की सुबह तीन बजे से ही अपर रोड समेत अन्य बाजारों में दुकान खुलनी शुरू हो गई थी। सुभाषघाट पर तो रात भर दुकानें खुली रहीं। हरकी पैड़ी पर आयोजित होने वाली संध्याकालीन आरती का स्वरूप भव्य होने के बाद सोमवती अमावस्या स्नान पर्व के अवसर पर भी शाम के समय भारी भीड़ रही। संध्या कालीन आरती में शामिल होने के बाद अधिकतर श्रद्धालु अपने गतव्यों की तरफ लौट गए।

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Author: Pawan Rawat
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