उत्तराखंड

चुनाव आयोग ने सरकार को भेजा प्रस्ताव, अब दो सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे नेता

अब दो सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे नेता? चुनाव आयोग ने सरकार को भेजा प्रस्ताव, ओपिनियन और एग्जिट पोल पर बैन लगाने की मांगरिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि चुनाव आयोग ने लॉ मिनिस्ट्री को छह महत्वपूर्ण प्रस्ताव भेजे हैं। आयोग ने वोटर लिस्ट को आधार से लिंक करने से जुड़े नियमों और नए वोटर को रजिस्टर करने से जुड़े चार कट-ऑफ डेट से जुड़े नियमों को नोटिफाई करने को कहा है।

चुनाव आयोग में नए मुख्य आयुक्त राजीव कुमार की नियुक्ति के बाद जल्द ही चुनाव से जुड़े महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। चुनाव आयोग ने वोटर कार्ड को आधार से लिंक किए जाने, ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल पर बैन लगाने के साथ ही 6 महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है। यदि चुनाव आयोग के प्रस्तावों को मंजूरी मिल जाती है तो जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के सेक्शन 37(1) में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद एक उम्मीदवार एक ही सीट से चुनाव लड़ सकेगा।वोटर लिस्ट को आधार से लिंक करने के नियम को नोटिफाई करें। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के चुनाव आयोग से जुड़े एक अधिकारी नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि चुनाव आयोग ने लॉ मिनिस्ट्री को छह महत्वपूर्ण प्रस्ताव भेजे हैं।

आयोग ने वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने से जुड़े नियमों और नए वोटर को रजिस्टर करने से जुड़े चार कट-ऑफ डेट से जुड़े नियमों को नोटिफाई करने को कहा है। पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा में इलेक्शन लॉ (अमेंडमेंट) बिल, 2021 ध्वनिमत से पास हुआ था। इसमें वोटर लिस्ट को आधार कार्ड से लिंक करने की बात थी। हालांकि, विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया था।दो सीट से चुनाव लड़ने पर लगे रोक रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग ने अपनी लंबे समय से की जा रही मांग पर भी हरी झंडी की मांग की है। यह मांग जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सेक्शन 33(7) के संशोधन से जुड़ी है। इस संशोधन का उद्देश्य एक उम्मीदवार को दो सीटों से चुनाव लड़ने से रोकना है। यह एक्ट वर्तमान में एक व्यक्ति को दो निर्वाचन क्षेत्रों से आम चुनाव या उप-चुनावों के समूह या द्विवार्षिक चुनाव लड़ने की अनुमति देता है। चुनाव आयोग ने साल 2004 में ही एक्ट की धारा 33(7) में संशोधन का प्रस्ताव रखा था।

दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के अधिकार की मांग

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार भी मांगा है। चुनाव आयोग की यह डिमांड भी लंबे समय से पेंडिंग है। चुनाव आयोग का मत है कि कई राजनीतिक दल सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराते हैं लेकिनकभी चुनाव नहीं लड़ते। ऐसी पार्टियों का अस्तित्व केवल कागजों पर होता है। आयोग का मानना है कि इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि इन राजनीतिक दल का गठन सिर्फ आयकर छूट का लाभ लेने के लिए हुआ हो।

ओपिनियन पोल, एग्जिट पोल पर रोक की मांग

आयोग ने एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध लगाने की भी सिफारिश की थी। साथ ही कहा था कि चुनाव की पहली अधिसूचना के दिन से लेकर उसके सभी चरणों में चुनाव पूरा होने तक ओपिनियन पोल के परिणामों के संचालन और प्रसार पर कुछ प्रतिबंध होना चाहिए। इसके अलावा आयोग का कहना है कि 20,000 रुपये के बजाय 2,000 रुपये से ऊपर के सभी दान के प्रकटीकरण को अनिवार्य करने के लिए फॉर्म 24 ए में संशोधन किया जाए।

 

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