भारत में लगातार बढ़ रही कोरोना की रफ्तार चिंता का विषय तो है ही, लेकिन साथ ही साथ इस बात की खुशी भी है कि अब वैक्सीन आने में ज्यादा समय नहीं है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा था कि साल 2021 के पहले 3-4 महीनों में इस बात की संभावना है कि हम देश के लोगों को वैक्सीन प्रदान कर सकेंगे। उसके बाद टीकाकरण अभियान शुरू होगा। कोविड-19 के वैक्सीन कार्यक्रम से जुड़े एक विशेषज्ञ के मुताबिक, सरकार की योजना कोरोना के सबसे ज्यादा जोखिम वाले साठ करोड़ लोगों को सबसे पहले वैक्सीन देने की है।
कोविड-19 के वैक्सीन कार्यक्रम को लेकर प्रधानमंत्री को सलाह देने वाले विशेषज्ञों के दल की अगुवाई करने वाले वीके पॉल ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को यह जानकारी दी है कि कोरोना वैक्सीन को लोगों तक पहुंचाने के लिए भारत अपनी चुनाव मशीनरी का इस्तेमाल करेगा। यह वैक्सीन कार्यक्रम छह से आठ महीने तक चलेगा और इसके लिए देशभर में फैले कोल्ड स्टोरेज को इस्तेमाल में लाया जाएगा। रॉयटर्स के मुताबिक, वीके पॉल ने कहा है कि सरकार ने दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर वैक्सीन स्टोर करने के लिए कोल्ड स्टोरेज तैयार कर लिए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार फिलहाल उन चार वैक्सीन को ध्यान में रखकर अपनी तैयारी कर रही है जो लगभग बनकर तैयार हो चुके हैं।वीके पॉल के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक, जायडस और रूस की स्पूतनिक-वी जैसी चार वैक्सीनों के लिए सामान्य कोल्ड स्टोरेज की जरूरत है और भारत के लिए यह कोई बड़ी चुनौती नहीं है।
हालांकि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को कई देश मंजूरी दे चुके हैं और भारत में भी इसके इस्तेमाल के लिए मंजूरी मांगी गई है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इस टीके के भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की जरूरत है और भारत में फिलहाल इसकी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में इस वैक्सीन को भारत के लिए उपयुक्त नहीं माना जा रहा है।
भारत के लिए सबसे अच्छा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को ही माना जा रहा है, क्योंकि इसे सामान्य तापमान पर रखा जा सकता है और माना जा रहा है कि इसकी कीमत भी कम होगी। फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में लगी हुई है। यहां इसे ‘कोविशील्ड’ नाम से लॉन्च किया जाएगा।