उत्तराखंड

प्रवासियों को लेकर देहरादून जिला प्रशासन तैयार लेकिन कई परेशानियां भी

लॉकडाउन के बीच घर लौटने की उम्मीद में 15628 लोगों ने आवेदन कर दिया। इनमें से 4536 लोगों का आवेदन स्वीकार भी कर लिया गया है। 10492 लोगों को अनुमति का इंतजार है, लेकिन इस आगमन में चुनौतियां भी अपार हैं।

लोगों की जांच से लेकर उन्हें क्वारंटीन करने तक और उनके अस्पताल में इलाज तक चुनौतियां ही चुनौतियां हैं। हालांकि जिला प्रशासन का कहना है कि नई गाइडलाइंस के हिसाब से वह इस चुनौती से निपटने को तैयार हैं।
चुनौती 1- 20 क्वारंटीन सेंटर्स में 1563 बेड
दून पहुंचने वाले लोगों की अर्जियों को देखें तो ऐसे प्रवासियों की संख्या बड़ी है। इनकी तुलना में क्वारंटीन सेंटरों की संख्या बहुत कम है। जिले की बात करें तो यहां पर फिलवक्त 20 क्वारंटीन सेंटर हैं। जिनमें धर्मशालाएं और होटल भी शामिल हैं। इन सभी सेंटरों में महज 1563 बेड ही उपलब्ध हैं। जबकि बड़ी संख्या में हर रोज प्रवासी पहुंच रहे हैं। जितने लोग कतार में हैं, उन्हें अनुमति मिलने के हालात में चुनौतियां बढ़नी लाजिमी हैं। बाहर से आने वाले सभी लोगों को इन क्वारंटीन सेंटर में 14 दिन की अवधि तक रखना संभव नहीं है। अभी कई सेंटरों में 90 लोग क्वारंटीन है। कोरोना के जिला नोडल अधिकारी डॉ. दिनेश चौहान ने बताया कि क्वारंटीन सेंटर में कोरोना संदिग्ध मरीजों को रखा जाता है। जरूरत के हिसाब से बेड भी तैयार किए जा रहे हैं।
चुनौती 2- होम क्वारंटीन में निगरानी
केंद्र सरकार की कोरोना लॉकडाउन से जुड़ी गाइडलाइंस के हिसाब से जिला प्रशासन ने बाहर से आने वाले लोगों को होम क्वारंटीन करने का काम शुरू किया है। रोजाना लोग आ रहे हैं और उन्हें होम क्वारंटीन भी किया जा रहा है। अब यहां सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को होम क्वारंटीन करने के बाद इनकी निगरानी कैसे होगी। दरअसल, पुलिस या स्वास्थ्य महकमे के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि हर होम क्वारंटीन किए गए व्यक्ति की पूरी निगरानी की जा सके। हालांकि इस चुनौती से निपटने के लिए मोबाइल ऐप का सहारा लिया जा रहा है।
चुनौती 3 – 400 मरीजों को मिल सकता है कोरोना का इलाज
दून अस्पताल में 35 आईसीयू बेड हैं। तीन बाईपैप मशीनें हैं, जिनकी मदद से जरूरत पड़ने पर मरीज को ऑक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचाई जाती है। यहां कुल 500 बेड का अस्पताल है, जिसमें से 400 बेड कोरोना के लिए रिजर्व किए गए हैं। यानी एक बार में कोरोना के 400 मरीजों को एक साथ इलाज दिया जा सकता है। हजारों की संख्या होने पर इलाज की चुनौती तैयार है। हालांकि दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि दून अस्पताल में कोरोना के मद्देनजर पोर्टेबल एक्सरे, इको मशीनें भी लाई गई हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल इतने लोगों का इलाज देने की पूरी व्यवस्था उपलब्ध है।
चुनौती 4 – दून अस्पताल में रोजाना 90 सैंपल की ही जांच
दून अस्पताल में कोरोना की जांच शुरू हो चुकी है। यहां कोरोना की जो लैब बनाई गई है, उसमें रोजाना 90 सैंपल की जांच की जा रही है। रैंडम सहित विभिन्न माध्यमों से रोजाना करीब 175 सैंपल आ रहे हैं। यानी प्रतिदिन करीब आधे सैंपल पेंडिंग हो रहे हैं। लोगों की संख्या बढ़ने के बाद अगर सैंपलिंग में इजाफा किया जाता है तो लंबित जांचों की संख्या भी बढ़ जाएगी।

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Author: Pawan Rawat
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