आयुष प्रदेश में आयुष चिकित्सकों की प्रदेश सरकार द्वारा घोर उपेक्षा की जा रही है, यही वजह है कि अभी तक आयुष चिकित्सकों की बहुप्रतीक्षित डीएसीपी की मांग सरकार द्वारा पूरी नहीं की गयी है।
*राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ० डी० सी० पसबोला* द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि आयुष प्रदेश में ही आयुष चिकित्सकों को डीएसीपी का लाभ न दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि एलोपैथ चिकित्सकों को कई वर्षों से डीएसीपी का लाभ दिया जा रहा है, जो कि सरकार के आयुष चिकित्सा पद्धति एवं आयुष चिकित्सकों के प्रति घोर उपेक्षा एवं भेदभावपूर्ण रवैये को प्रदर्शित करता है। जिससे कि उत्तराखण्ड प्रदेश के आयुष प्रदेश होने पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है। एक तरफ तो सरकार सभी चिकित्सा पैथियों के समान होने की बात कहती है, फिर आखिर प्रदेश में आयुष चिकित्सकों के साथ ये अन्याय किसलिए किया जा रहा है।
इस सम्बन्ध में आयुर्वेद एवं यूनानी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ० के० एस० नपलच्याल द्वारा दिनांक: 15 मई 2020 एवं 22 अक्टूबर 2020 को आयुष मंत्री डॉ० हरक सिंह रावत को दो बार पत्र भी प्रेषित किया जा चुका है। इसी प्रकार प्रान्तीय महासचिव डॉ० हरदेव रावत द्वारा भी इस सम्बन्ध में एक पत्र दिनांक: 31 जुलाई 2020 को भेजा गया था। जिनकी प्रतियां आयुष सचिव एवं मुख्यमंत्री को भी भेजी गयी थी। इस सम्बन्ध में अभी तक कोई कार्यवाही न होने को उपाध्यक्ष डॉ० अजय चमोला द्वारा भी अफसोसजनक कहा गया है। डीएसीपी प्रकरण पर सरकार द्वारा शीघ्र निर्णय न लिए जाने से आयुष चिकित्सकों में आक्रोश है।
प्रान्तीय होम्योपैथिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ० अमितराज सिंह नेगी द्वारा इस सम्बन्ध में तीन चार बार पत्र प्रेषित किया जा चुका है।