पंजाब में तमाम विरोध के बावजूद कांग्रेस ने चन्नी को पंजाब में कांग्रेस का सीएम उम्मीदवार घोषित किया है जबकि नवजोत सिंह सिद्धू लगातार इस पर नाराजगी जता चुके हैं अंदर खाने विरोध भी है लेकिन कांग्रेस आलाकमान झुकने को तैयार नहीं है ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि जब पंजाब में कांग्रेस सीएम चेहरा दे सकती है तो फिर उत्तराखंड में क्यों नहीं हरीश रावत लगातार खुद को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने की मांग कर चुके हैं लेकिन कांग्रेस आलाकमान सामूहिक नेतृत्व की बात करता रहा है.
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद किसकी सरकार आएगी यह कहना अभी भले ही जल्दी होगा लेकिन इससे भी ज्यादा जल्दी यह कहना होगा कि आखिर प्रदेश में सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा. फिर जहां भाजपा ने भी पुष्कर सिंह धामी को ही मुख्यमंत्री दोबारा बनाने की बात कह दी है तो आम आदमी पार्टी और कई अन्य छोटे दल भी ऐसे हैं जिन्होंने साफ तौर पर यह कह दिया है कि उनके तरफ से मुख्यमंत्री पद का दावेदार कौन होगा. लेकिन इन सबके बीच में जो सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है वह हो रहा है की अगर कांग्रेस बहुमत के साथ सरकार बनाती है तो कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद का दावेदार होगा कौन?
समय-समय पर कांग्रेस के अंदर से कई बड़े नेता खुलकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पैरवी करते रहे हैं. और इसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल हो या फिर राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा और केदारनाथ विधायक मनोज रावत भी उन लोगों में शामिल हैं जो लगातार मुख्यमंत्री के तौर पर कांग्रेस की तरफ से हरीश रावत को ही सबसे ज्यादा मजबूत कैंडिडेट मानते रहे हैं. और एक बार फिर से केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने यह दोहराया है कि अगर सरकार आती है तो मुख्यमंत्री हरीश रावत ही होगे.
साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस की सरकार बन कर आ रही है और मुख्यमंत्री हरीश रावत ही बनने जा रहे हैं उनसे जब यह पूछा गया कि वह चाहते हैं कि हरीश रावत मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने कहा कि उनसे अच्छा मुख्यमंत्री का चेहरा और कोई हो भी नहीं सकता.