हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जल विद्युत परियोजनाओं को और अधिक व्यावहारिक एवं वित्तीय रूप से युक्तियुक्त बनाये जाने हेतु स्वर्ण जयन्ती ऊर्जा नीति 2021 अधिसूचित की गयी है, जिसमें जल विद्युत परियोजनाओं के क्षमता वृद्धि हेतु लिये जाने वाले प्रीमियम, परियोजना के अंशधारिता में परिवर्तन, 25 मे०वा० तक की जल विद्युत परियोजनाओं से राज्य डिस्कॉम के द्वारा अनिवार्य विद्युत कय परियोजना के निर्माण के समय उत्पन्न खनिज के परियोजना निर्माण हेतु उपयोग, परियोजना की परिचालन अवधि तथा One Time Amnesty Scheme इत्यादि हेतु नवीनतम संशोधन / प्राविधान किये गये है।
राज्य में भी जल विद्युत परियोजनाओं के विकास एवं निर्माण को बढावा दिये जाने हेतु राज्य की जल विद्युत नीतियों एवं तत्सम्बन्धी अन्य संगत अधिसूचनाओं में आवश्यक प्राविधान / संशोधन विषयक प्रस्ताव पर मा० मंत्रिमण्डल द्वारा निर्णय / अनुमोदन प्रदान किया गया है। उक्त संशोधनों के मुख्य बिंदु निम्नानुसार है-
जल विद्युत परियोजनाओं की क्षमता वृद्धि हेतु उत्तराखण्ड राज्य के गठन से पूर्व आवंटित परियोजनाओं हेतु बढी हुई क्षमता पर रु० 1 लाख प्रति मेगावाट शुल्क प्राप्त किये जाने हेतु एवं उत्तराखण्ड राज्य के गठन के पश्चात आवंटित परियोजनाओं हेतु परियोजना आवंटन के समय विकासकर्ता द्वारा प्रदत्त प्रति मे०वा० अपफ्रन्ट प्रीमियम के अनुसार बढी हुई क्षमता पर शुल्क प्राप्त किये जाने का प्रावधान किया गया है।
लघु जल विद्युत परियोजनाओं (25 मेरावाट तक) से उत्पादित सम्पूर्ण विद्युत का क्रय, मा० उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग (UERC) द्वारा निर्धारित टैरिफ पर उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि० (यूपीसीएल) द्वारा अनिवार्य रुप से किये जाने का प्रावधान किया गया है।
जल विद्युत परियोजनाओं के विकास हेतु हस्ताक्षरित किये गए क्रियान्वयन अनुबन्ध / अनुपूरक क्रियान्वयन अनुबन्ध में परियोजना आवंटन के हस्तांतरण / प्रमोटर इक्विटी के हस्तांतरण कम्पनी की हिस्सेदारी किसी तीसरे पक्ष के नाम पर, जिसके पास समकक्ष या उच्च तकनीकी और वित्तीय क्षमता है, अपनी इक्विटी 100 प्रतिशत तक बेचने / हस्तांतरित किये जाने हेतु उत्तराखंड शासन से अनुमोदन उपरांत अनुमति का प्रावधान किया गया है।
जल विद्युत परियोजनाओं के निष्पादन के दौरान उत्पन्न मिट्टी / खनिज का उपयोग करने और परियोजना क्षेत्र में क्रेशर स्थापित करने हेतु उत्तराखण्ड खनन विभाग के नियमों के अनुसार अनुमति का प्रावधान किया गया है।
जल विद्युत परियोजनाओं के विकास हेतु हस्ताक्षरित किये गए क्रियान्वयन अनुबन्ध / अनुपूरक क्रियान्वयन अनुबन्ध में परियोजना अनुबन्ध अवधि को निर्धारित वाणिज्यिक उत्पादन तिथि (Scheduled Commercial Operation Date) के पश्चात 40 वर्षों तक किये जाने का प्रावधान किया गया है।
जल विद्युत परियोजनाओं के विकास हेतु हस्ताक्षरित किये गए क्रियान्वयन अनुबन्ध / अनुपूरक क्रियान्वयन अनुबन्ध में परियोजना अनुबन्ध अवधि को निर्धारित वाणिज्यिक उत्पादन तिथि (Scheduled Commercial Operation Date) के पश्चात 40 वर्षों तक किये जाने का प्रावधान किया गया है।
” वन टाइम एमनेस्टी स्कीम” जिसके अंतर्गत विकासाधीन जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण प्रारम्भ करने की तिथि एवं निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाओं की वाणिज्यिक उत्पादन तिथि को बिना किसी विलम्ब अधिभार के पुनर्निधारण किये जाने का प्रावधान किया गया है।
उपरोक्त प्रस्तावित संशोधन से राज्य में रूकी हुई जल विद्युत परियोजनाओं का त्वरित विकास सम्भव हो पायेगा। राज्य एवं परियोजना क्षेत्रों का सामाजिक एवं आर्थिक विकास होगा जिसके फलस्वरूप राज्य में रोजगार की वृद्धि होगी एवं पलायन में कमी आयेगी राज्य सरकार द्वारा हरित ऊर्जा को बढ़ावा दिये जाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। लघु जल विद्युत परियोजनाओं के विद्युत क्रय अनुबन्ध हस्ताक्षरित होने में निश्चितता एवं अन्य प्रस्तावित संशोधनों के दृष्टिगत राज्य में निवेश में वृद्धि होगी।