पुराने डीजी हेल्थ की फेयरवेल पार्टी और नए डीजी के स्वागत समारोह मे अलग ही नजारा देखने को मिला। बाहर की दवाओं के मुद्दे और स्वास्थ्य महानिदेशालय मे हुई डॉक्टरों की बैठक की वायरल वीडियो के मुद्दे पर अपनी बात रखने आए डॉक्टर एन एस बिष्ट को कुछ डॉक्टरों ने बोलने से रोकने की कोशिश की यहां तक कि एक बार तो माइक भी बंद कर दिया। फिर भी डॉक्टर एन एस बिष्ट अपनी बात कह गए, बोले कि अगर मैं खटकता हूं – तो वीआरएस दे दीजिए मगर मैं अपनी बात कह कर रहूंगा।
डॉ बिष्ट ने महानिदेशालय में होने वाली डॉक्टरों की प्रपंच पूर्ण बैठको की ओर ध्यान दिलाया जिसमें स्वास्थ्य सुधारों की बातों के बजाय अस्पताल के डॉक्टरों पर छींटाकशी की जाती है तथा एक माननीय के इलाज और दवाओं को बाहर से आए लोगों के सामने अशिष्टतापूर्वक और प्रोटोकॉल तोड़कर बहस का मुद्दा बनाया जाता है।
डॉ बिष्ट ने कहा कि आपके पास अस्पतालों में 2% रोगियों के इलाज की दवाएं नहीं तो डॉक्टरों पर किस नैतिकता से बाहर की दवाएं लिखने का लांछन लगाया जाता है और CR खराब करने की प्रक्रिया चलाई जाती है। सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट की फीस और जांचों का खर्च ना उठा सकने वाले अनियंत्रित रोगो के गंभीर मरीज आते हैं उनको क्या आयरन की गोली पकड़ा कर घर भेज दिया जाए।
