देहरादून 08 अप्रैल: कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री, गणेश जोशी ने आज दीक्षा भवन, सर्किट हाउस गार्डन देहरादून में उद्यान विभाग की समीक्षा बैठक ली. अधिकारियों कर्मचारियों के अटैचमैंट कल्चर पर मंत्री का पारा सातवें आसमान पर था. मंत्री ने सख्ती से निर्देषित किया कि विभाग में अधिकारियों/कर्मचारियों के संबद्धीकरण को समाप्त किया जाए. मंत्री ने कहा कि हर कोई देहरादून ही रहेगा तो किसानें के बीच काम कैसे होगा? कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने पौंधा भी लगाया.
विभागीय समीक्षा बैठक को सम्बोधित करते हुए कृषि मंत्री, द्वारा अधिकारियों/कर्मचारियों को राज्य के विकास में अपना शतप्रतिशत योगदान देते हुए सरलीकरण, समाधान, निस्तारण तथा संतोषीकरण के अनुसार प्रदेश के किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए कार्य करने के निर्देश दिये. इस हेतु समस्त विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों को किसानों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को जानने एवं उनका समाधान करने के भी निर्देश दिये. साथ ही विभागीय अधिकारियों को 100 दिन का लक्ष्य निर्धारित कर उसे पूर्ण करने के निर्देश दिये.
औद्योगिक विकास मंत्री के तौर पर अपने पूर्व अनुभव के आधार पर उन्होंने कहा कि उद्योगों की तर्ज पर किसानों की सुविधा हेतु औद्यानिकी में भी ऑनलाईन सिंगल विण्डो सिस्टम और एक जनपद दो उत्पाद विकसित किए जाए.
ये दिए निर्देश –
जनपदीय अधिकारियों को फिल्ड विजिट के आदेश दिए गए.
लापरवाह अधिकारियों/कर्मचारियां को पहले कारण बताओ नोटिस और अगली लापरवाही पर एडवर्स इंट्री दर्ज करवाई जाए.
अधिकारी बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम करें. क्योंकि कृषक कल्याण हमारा सर्वोपरि एजेंडा.
बिच्छूघास की चाय नेटल टी) की भारी मांग है. इसके उपत्पाद के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए.
‘‘उत्तराखण्ड एकीकृत औद्यानिक विकास परियोजना’’ के अंतर्गत कीवी को ‘‘गेम चेंजर क्रॉप’’ के रूप में प्रदेश में कीवी उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए और कीवी उत्पाद की ब्राण्डिंग की जाए. इससे विदेशों से कीवी के आयात में कमी लायी जायेगी और राज्य के किसानों की आया में बृद्धि हो सके.
प्रदेश में पुष्प उत्पादन को भी बढ़ावा देने के निर्देश दिये गये. इस सम्बन्ध में उनके द्वारा जनपद हरिद्वार एवं हल्द्वानी में पुष्प मण्डी विकसित किये जाने के भी निर्देश दिये गये.
प्रदेश में हार्टि–टूरिज्म के माध्यम से किसानों की आर्थिकी में वृद्धि करने हेतु भी प्रयास करने के निर्देश दिये गये.
प्रदेश में अधिक मूल्य वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने एवं कृषकों को उन्नत प्रजाति की उच्च गुणवत्तायुक्त पौध रोपण सामग्री वितरित किये जाने के निर्देश दिये गये.
औद्यानिक फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हेतु सिंचाई व्यवस्था सुदृढ़ किये जाने संबंधी निर्देश दिये गये. साथ ही सुगमतापूर्वक विपणन व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु कलस्टर अवधारणा अपनाते हुए औद्यानिक फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दिये जाने के निर्देश दिये गये ताकि कृषकों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्रदान कराया जा सके.ये है भविष्य की योजना –
विभिन्न शीतोष्ण एवं वर्षाकालीन फलों की उच्च गुणवत्तायुक्त पौध रोपण सामग्री उत्पादन हेतु उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अधीन 93 राजकीय उद्यानों को आदर्श उद्यान के रूप में विकसित किया जायेगा.
उत्तराखण्ड में औद्यानिकी के समग्र विकास हेतु विशेष आर्थिक सहायता के रूप में रू0 2000.00 करोड़ की लागत के प्रस्ताव ‘‘हार्नेसिंग द हॉर्टीकल्चर पोटेंशियल ऑफ उत्तराखण्ड’’ को भारत सरकार को स्वीकृत कराने का प्रयास किया जायेगा.
