पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के एएसआइ मोहन लाल रतूड़ी को वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से अलंकृत किया गया है। इससे उनका परिवार खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। शहीद की पत्नी ने कहा कि सीआरपीएफ न केवल उनका मार्गदर्शन, बल्कि आर्थिक रूप से भी मदद कर रही है।
शहीद मोहनलाल 1988 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनके परिवार में पत्नी सरिता, तीन बेटियां और दो बेटे हैं। उनकी शहादत की खबर आई तो परिवार बुरी तरह टूट गया था। लगा कि जैसे सब खत्म हो गया, जो भी कोई उनसे मिलने आता बस दिलासा देता। पर वक्त बदला और परिवार दृढ़ता के साथ आगे बढ़ा।शहीद की पत्नी का कहना है कि सरकार व समाज ने उन्हें पूरा सम्मान व सहयोग दिया है। यह आमजन का प्यार ही है, जिसने उनके परिवार को उस असहनीय पीड़ा से उबरने में मदद की। सीआरपीएफ न केवल उनका मार्गदर्शन, बल्कि आर्थिक रूप से भी मदद कर रही है। उन्होंने बताया कि बड़े बेटे शंकर को राज्य सरकार की तरफ से नौकरी मिल गई है। वह उत्तरकाशी कलक्ट्रेट में लिपिकीय संवर्ग में तैनात हैं। बेटी वैष्णवी डीएवी पीजी कॉलेज से बीएड, जबकि दूसरी बेटी गंगा बीएससी की छात्रा है। छोटा बेटा श्रीराम कक्षा 11 का छात्र है। शहीद की सबसे बड़ी बेटी अनुसूया की शादी हो चुकी है। शहीद के दामाद सरवेश कुमार नौटियाल का कहना है कि सरकार व समाज ने उन्हें सम्मान के साथ हर कदम पर सहयोग भी दिया है। बस यही आशा है कि यह सम्मान आगे भी यूं ही बना रहे। इससे परिवार को हौसला मिलता है।
पुलवामा हमले में शहीद सीआरपीएफ एएसआइ मोहन लाल रतूड़ी को वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से अलंकृत किया गया
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