देहरादून। बरसाती मौसम में उत्तराखंड की प्रमुख नदियों में बढ़ते जलस्तर से बाढ़ के खतरों को भांपते हुए राज्य का सिंचाई विभाग पूरी तैयारियोंं के साथ बाढ़ सुरक्षा की दृष्टि मुस्तैदी है।
उत्तराखंड में बाढ़ सुरक्षा सम्बन्धी तैयारियों की जानकारी देते हुए आज यहां प्रदेश के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि बरसात के मौसम में राज्य की प्रमुख नदियों के बढ़ते जलस्तर के खतरे को देखते हुए सिंचाई विभाग ने समय से अपनी पूरी तैयारियां कर दी हैं।
सिंचाई मंत्री महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य की प्रमुख नदियों भागीरथी, अलकनंदा, पिंडर, मंदाकिनी, नयार और गंगा जिनका कि बरसात में जलस्तर बढ़ जाने से कई स्थानों पर भवन, भूमि, फसलों, मार्गों आदि को हमेशा खतरा बना रहता है। उस खतरे से निपटने के लिए सिंचाई विभाग ने बाढ़ सुरक्षा के तहत अपनी योजनाओं का काम पूरा कर लिया है। श्री केदारनाथ धाम स्थित केदारपुरी में मंदाकिनी नदी से सुरक्षा, श्री केदारनाथ के सीतापुर/गौरीकण्ड के पूर्ननिर्माण कार्य, सौंग नदी के दायें तट पर स्थित गौरी माफी ग्राम में जल भराव से निजात दिलाने के लिए 379.49 लाख रूपये की लागत से लगभग 500 मीटर के बन्दे का निर्माण किया गया है। अल्मोडा के विकासखण्ड चौखुटिया में शीर्ष बन्धों का पुनर्निमार्ण कराया गया है। विकासखण्ड स्याल्दे, विकासखण्ड मुनस्यारी एवं चमोली जनपद के विकासखण्ड घाट में भी पुनर्निमार्ण के कार्य गतिमान हैं। महाराज ने बताया कि मानसून में बाढ़ तथा जल भराव की दृष्टि से हरिद्वार, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ, चम्पावत, उधमसिंह नगर, देहरादून और उत्तरकाशी जनपदों के सभी संवेदनशील स्थलों का चिन्हीकरण कर बाढ़ सुरक्षा की तैयारियां पूर्ण की जा चुकी हैं। उन्होने बताया कि देहरादून के सिंचाई खण्ड परिसर में राज्य का केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाने के अलावा दोनों मण्डलों सहित जिला स्तर पर भी बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किये गये हैं। इतना ही नहीं प्रदेश स्तर पर सभी अधिकारियों का बाढ़ से सम्बन्धित सूचनाओं के आदान प्रदान हेतु एक वाट्सऐप ग्रुप भी बनाया गया है। जिसके माध्यम से सुबह के समय नदी का डिसचार्ज एवं क्षेत्र में हुई वर्षा की माप की सूचना केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष को करवाई जायेगी।
सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बाढ़ सुरक्षा तैयारियों के बारे में बताया केन्द्रीय जल आयोग से प्राप्त नदियों के जलस्तर का पूर्वानुमान शासन द्वारा सम्बन्धित जिलाधिकारी एवं विभाग के क्षेत्रीय एवं स्थानीय अधिकारियों को उपलब्ध करवाने के साथ-साथ केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष के द्वारा प्रतिदिन बाढ़ संबंधित सूचनाएं शासन और उच्चाधिकारियों को भी पहुंचाई जायेंगी। श्री महाराज ने बताया कि नैनीताल, उधमसिंह नगर, चम्पावत, हरिद्वार और टिहरी जनपदों में कुल 72 बाढ़ चौकियां स्थापित कर दी गई हैं जिनके माध्यम से ग्रामीणों को सजग रहने की व्यवस्था की गई है। सिंचाई मंत्री ने बताया कि बाढ़ सम्बन्धी सूचनाओं के लिए अल्मोडा, श्रीनगर और देहरादून में नोडल अधिकारियों की तैनाती भी की गई है। उन्होने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की मानिटरिंग के लिए जनपदों में एक स्टीयरिंग ग्रुप का भी गठन किया गया है।