प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को दूसरे ग्लोबल कोविड समिट को संबोधित किया. पीएम ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को और अधिक उदार वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवस्था बनाने के लिए सुधार और मजबूत करने की आवश्यकता है. उन्होंने वैक्सीन की सुचारू आपूर्ति के लिए डब्ल्यूएचओ के अप्रूवल प्रॉसेस को और बेहतर करने का भी आह्वान किया.
उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए एक मजबूत वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है. हमें एक लचीली ग्लोबल सप्लाई चेन का निर्माण करना चाहिए और टीकों और दवाओं की समान पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘वैश्विक समुदाय के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में, भारत इन प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है.’
भारत की ‘जन-केंद्रित’ रणनीति
कोविड -19 महामारी के लिए भारत की प्रतिक्रिया पर पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत में, हमने महामारी के खिलाफ एक जन-केंद्रित रणनीति अपनाई है. हमने अपने वार्षिक स्वास्थ्य बजट में अब तक का सबसे अधिक आवंटन किया है.’ उन्होंने कहा, ‘हमारा टीकाकरण कार्यक्रम दुनिया में सबसे बड़ा है. हमने लगभग 90 प्रतिशत वयस्क आबादी और 50 मिलियन से अधिक बच्चों को पूरी तरह से टीका लगाया है. भारत डब्ल्यूएचओ प्रमाणित चार वैक्सीन का निर्माण करता है और इस साल पांच अरब खुराक का उत्पादन करने की क्षमता रखता है.’
98 देशों को दी वैक्सीन
पीएम मोदी ने कहा, ‘हमने 98 देशों को 200 मिलियन से अधिक खुराक की आपूर्ति की है. भारत ने परीक्षण, उपचार और डेटा प्रबंधन के लिए कम लागत वाली कोविड शमन तकनीक विकसित की है. हमने अन्य देशों को इन क्षमताओं की पेशकश की है. भारत के जीनोमिक्स कंसोर्टियम ने वायरस पर वैश्विक डेटाबेस में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम अपने पड़ोस के देशों में इस नेटवर्क का विस्तार करेंगे.’
पारंपरिक औषधि
दूसरे ग्लोबल कोविड वर्चुअल समिट के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में, पीएम मोदी ने भारत में पारंपरिक दवाओं के उपयोग पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘भारत में, हमने कोविड -19 के खिलाफ अपनी लड़ाई के पूरक और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए, अनगिनत लोगों की जान बचाने के लिए अपनी पारंपरिक दवाओं का बड़े पैमाने पर उपयोग किया. पिछले महीने, हमने भारत में ‘डब्ल्यूएचओ सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन’ की नींव रखी है. यह सदियों पुराना ज्ञान दुनिया के लिए उपलब्ध है.’