भाजपा सत्ता की कमान किसके हाथों में सौंपेगी, इस सवाल पर पार्टी अब फंसती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर भाजपा ने चुनाव लड़ा। भाजपा के हलकों में चर्चाएं गर्म है कि पार्टी चुनाव हारने के बावजूद धामी को ही सत्ता की बागडोर सौंप सकती है। इसके पक्ष में पश्चिम बंगाल में विस का चुनाव हारी ममता बैनर्जी का उदाहरण दिया जा रहा है, जो पार्टी को जिता गई थीं, लेकिन खुद चुनाव हार गईं।
सीएम बनाए जाने के पक्ष में यह तर्क भी दिया जा रहा है कि चुनाव के दौरान उनके पास इतना समय नहीं था कि वह अपनी विधानसभा सीट पर समय देते। उन्होंने पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार किया। उनकी विधानसभा सीट पर प्रचार की कमान उनकी पत्नी के हाथों में रही। हालांकि आखिरी समय में उन्होंने ताकत झोंकी लेकिन चुनाव नहीं जीत पाए।
मुख्यमंत्री के सवाल पर पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी का कहना है कि इस बारे में केंद्रीय नेतृत्व को निर्णय करना है और सरकार गठन को लेकर एक-दो दिन में स्थिति साफ हो जाएगी। यानी विधानमंडल दल की बैठक भाजपा जल्द बुला सकती है। उन्होंने भाजपा की जीत का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और सीएम पुष्कर सिंह धामी के काम को दिया।
धामी नहीं तो फिर और कौन
सियासी हलकों में यह सवाल भी तैर रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने यदि धामी को कमान नहीं सौंपी तो फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पार्टी किसे बैठाएगी।
विधायकों में महाराज और धन सिंह के नाम
मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर विधायकों में से सतपाल महाराज और धन सिंह के नामों की चर्चा है। दोनों नाम पूर्व में भी चर्चा में रहे हैं।
बाहर से निशंक, बलूनी और भट्ट की चर्चा
विधायकों से जुदा यदि पार्टी बाहर से मुख्यमंत्री के चेहरा तलाशती है तो उसके लिए तीन प्रमुख नामों की चर्चा शुरू हो गई है। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट के नाम लिए जा रहे हैं।