उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में फंसे आठ राज्यों के 41 श्रमिकों को बचाने के लिए 11 दिन से चल रही जंग गुरुवार को अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच गई है। अब घटनास्थल पर डीएम से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी पहुंच गए हैं। वहीं एम्स से लेकर सभी अस्पतालों में भी तैयारी कर ली गई है। अस्पतालों में डॉक्टरों से लेकर बेड तक तैयार कर लिए गए हैं।
सुरंग में कैद श्रमिकों तक पहुंचने के लिए सिलक्यारा की तरफ से स्टील के पाइपों से बनाई जा रही लगभग 60 मीटर लंबी निकास सुरंग की 55 मीटर ड्रिलिंग रात 12 बजे तक पूरी कर ली गई थी, लेकिन इसके आगे सुरंग में कोई धातु या लोहे की राड आने से ड्रिलिंग बाधित हो गई।
एनडीआरएफ की टीम गैस कटर से अवरोध को हटाने का प्रयास कर रही है। इसके बाद ही ड्रिलिंग आगे बढ़ पाएगी। रात डेढ़ बजे तक अवरोध को हटाने में सफलता नहीं मिल पाई थी। श्रमिकों तक पहुंचने के लिए अभी तीन से पांच मीटर ड्रिलिंग की जानी बाकी है।
उम्मीद की जा रही है कि 260 से अधिक घंटे से चल रहा राहत एवं बचाव अभियान गुरुवार मंजिल तक पहुंच सकता है। इसके बाद ही श्रमिक खुली हवा में सांस ले पाएंगे। निकास सुरंग तैयार होने के बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम सुरंग में दाखिल होकर एक-एक कर श्रमिकों को स्ट्रेचर ट्राली के माध्यम से बाहर लाएगी।
श्रमिकों के बाहर आते ही सुरंग के मुहाने पर तैनात चिकित्सकों का दल सभी का परीक्षण करेगा। लंबे समय तक कृत्रिम ऑक्सीजन के सहारे जिंदगी की जंग लड़ने वाले श्रमिकों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए उन्हें तत्काल एंबुलेंस से चिन्यालीसौड़ में तैयार किए गए। 40 बेड के अस्पताल में भर्ती कराने के लिए ले जाया जाएगा। एंबुलेंस बिना व्यवधान के चिन्यालीसौड़ पहुंच सकें, इसके लिए स्थानीय पुलिस-प्रशासन ने सिलक्यारा से चिन्यालीसौड़ के करीब 32.5 किलोमीटर भाग पर ग्रीन कॉरीडोर की तैयारी कर रखी है।
देर शाम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तरकाशी के मातली से बचाव अभियान पर नजर बनाए हुए हैं। जबकि, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार व राज्य सरकार के विशेष कार्याधिकारी भाष्कर खुल्बे सुबह से ही सिलक्यारा में डटे हुए हैं।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर यमुनोत्री राजमार्ग पर सिलक्यारा में चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की निर्माणाधीन 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग में 12 नवंबर को दीपावली की सुबह करीब साढ़े पांच बजे भूस्खलन हुआ था। सुरंग के मुख्य द्वार से करीब 275 मीटर आगे मलबे के कारण लगभग 60 मीटर भाग पूरी तरह बाधित हो गया और उसके आगे काम कर रहे 41 श्रमिक सुरंग के भीतर ही फंस गए। उसी दिन से श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की 12 से अधिक एजेंसियां राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं।
