आयुष्मान योजना में फ्री इलाज को लेकर मरीजों को टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। इलाज में देरी पर स्वास्थ्य विभाग का अस्पतालों पर सख्त ऐक्शन होगा। आयुष्मान योजना के तहत रोगी को भर्ती करने या उसके इलाज में देरी या गलत उपचार की शिकायत पर अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से इस संबंध में गुरुवार को दिशा निर्देश जारी किए गए। प्राधिकरण के चेयरमैन अरविंद सिंह ह्यांकी ने गुरुवार को आईटी पार्क स्थित दफ्तर में योजना से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक की।
इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को टोलफ्री नंबर,ईमेल,फोन समेत किसी भी माध्यम से जो शिकायतें मिल रही हैं, उन पर तत्काल कार्रवाई की जाए। आयुष्मान व राज्य स्वास्थ्य योजना से जुड़ी शिकायतों के त्वरित समाधान को उन्होंने फौरन एसओपी जारी करने के निर्देश दिए। बैठक में निदेशक प्रशासन डॉ.वीएस टोलिया, अपर निदेशक प्रशासन अतुल जोशी आदि मौजूद रहे।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के चेयरमैन अरविंद सिंह ह्यांकी आयुष्मान कार्डधारक मरीजों की शिकायतों का तत्काल संज्ञान लिया जाना जरूरी है। यदि परेशानी समय पर हल नहीं की गई तो फिर कार्रवाई का कोई फायदा नहीं।
अफसरों को शिकायतों के स्वभाव और गंभीरता के अनुसार उनका निस्तारण करने और उसी के अनुसार जिम्मेदारी भी तय करने को कहा गया है। लोगों तक योजना का निर्बाध और पूरा लाभ पहुंचाने के लिए इसका कड़ाई से क्रियान्वयन जरूरी है।
उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड आने वाले मरीजों को दून हॉस्पिटल, कोरोनेशन समेत अन्य सरकारी और निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत अब राशन कार्ड दिखाने पर ही मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगा।
यूपी के आयुष्मान कार्डों में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अस्पतालों ने आयुष्मान सोसायटी के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है। इसी के चलते पिछले दिनों काफी केस, क्लेम के दौरान फंस गए थे।
दून अस्पताल के आयुष्मान नोडल अधिकारी डॉ. धनंजय डोभाल ने गुरुवार को बताया कि उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य प्रदेशों के आयुष्मान कार्डधारकों से राशन कार्ड की प्रति लेकर तथा नाम, पता समेत सभी जानकारियों का मिलान कर इलाज किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर, सहारनपुर,मुजफ्फरनगर जिलों से तमाम मरीज, इलाज और ऑपरेशन के लिए उत्तराखंड के अस्पतालों में भर्ती होते हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में काफी आयुष्मान कार्ड फर्जी बनने की बात सामने आने और अपात्र लोगों द्वारा मुफ्त इलाज लेने का खुलासा होने के बाद उत्तराखंड में भी योजना को लेकर सख्ती शुरू कर दी गई है।
उधर, दून अस्पताल में 411 मरीजों के इलाज के मामलों में डॉक्टरों ने आयुष्मान सोसायटी की आपत्तियों का जवाब नहीं दिया। इससे करीब 74 लाख रुपये का भुगतान फंसा हुआ है।