उत्तराखंड

अरे भई AAP को तो उत्तराखंड की समझ ही नहीं

देहरादून। आम आदमी पार्टी उत्तराखंड की सियासत में हाथ आजमाना चाहती है, पर उसे यहां के बारे में कुछ भी पता नहीं। वो नहीं जानती कि उत्तराखंड में नंदा देवी का उतना ही महत्व है, जितना जीवन के लिये सांस का। आप को तो बस सियासत करनी है। जनभावनाओं की उसे फिक्र ही नहीं।
भारत वर्ष में पर्वतों को देवता की तरह पूजा जाता है। और फिर हिमालयी क्षेत्र तो न सिर्फ उत्तराखंड के लिये पवित्र है बल्कि समूचे देश के लिए गौरव का प्रतीक भी है। इसी हिमालयी श्रृंखला की एक चोटी नंदा देवी को लेकर अरविन्द केजरीवाल की पार्टी ने एक व्यंग में शामिल किया है। हाल ही में आप ने ईस्ट दिल्ली गाजीपुर में मौजूद कूड़े के ढेर की तुलना तीन चोटियों कंचनजंघा, नंदा देवी और कामेट से की है। जिसमें कहा गया कि भाजपा ने कुड़े इक्कट्ठा कर गाजीपुर में कंचनजंघा, नंदा देवी और कामेट पर्वत बनाये हैं। आप की इस टिप्पणी से उत्तराखंड के जनमानस को ठेस पहुंची है। देवभूमि के लोग उद्वेलित हैं। दरअसल, नंदादेवी उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल की सबसे ऊँची (25643 फ़ीट) चोटी है। इसके बाद दूसरा नंबर कामेट पर्वत (25446 फ़ीट) का है। ये चोटियां उत्तराखंड के लिये गौरव का प्रतीक भी है। फिर ये भी तो सच है कि हिमालय की इन चोटियों से ही तो सभी जीव-जंतुओं को प्राणवायु और जल मिलता है। पुराणों में जिक्र है कि देवी पार्वती का जन्म हिमालयी क्षेत्र में हुआ था। उनका नाम नंदा भी है इसीलिए गढ़वाल की सबसे ऊंची चोटी का नाम नंदा रखा गया। जाहिर है ! जिन चोटियों को देवताओं की तरह पूजा जाता हो भला उनकी कूड़े के पहाड़ से तुलना को यहां का जनमानस कैसे स्वीकार करेगा। आप की ओर से नंदादेवी पर्वत पर की गई इस संवेदनहीन टिप्पणी से साफ है कि उत्तराखंड का मिजाज ऐसी पार्टी से कतई मेल नहीं खाता जो जनभावना की कद्र न करती हो। और फिर दिल्ली और उत्तराखंड में जमीन-आसमान का फर्क भी तो है। पहाड़ के लोग मेहनतकश होते हैं। मुफ्तखोरी उनके खून में नहीं होती। बिजली, पानी और वाई-फाई मुफ्त में देने का नारा यहां नहीं चलने वाला। मुफ़्त की सुविधाएं लेकर अपने राज्य को कंगाल बनाने की बात तो कोई भी उत्तराखंडी सोच भी नहीं सकता। फिर ऐसे लोगों को कैसे उत्तराखंड की बागडोर सौंपी जा सकती है जो देवभूमि को जानते-पहचानते तक नहीं। इधर, जनता भी ये सवाल पूछने को तैयार बैठी है कि राज्य आंदोलन और इसके निर्माण में ‘आप’ की भागेदारी है क्या ?

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Author: Pawan Rawat
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