देहरादून मेडिकल कॉलेज में नौकरी के लिए डॉक्टर तैयार नहीं हैं। यहां संविदा पर विशेषज्ञ डॉक्टरों के सौ पदों पर भर्ती के लिए एक अक्तूबर को इंटरव्यू रखे गए, लेकिन आठ ही पहुंचे। दून मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के 11, एसोसिएट प्रोफेसर के 42, असिस्टेंट प्रोफेसर के 46 और एमओ के एक पद पर इंटरव्यू आयोजित किए गए थे। लेकिन, असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए छह और एसोसिएट प्रोफेसर के लिए दो विशेषज्ञ डॉक्टर ही पहुंचे, जो पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, डेंटल, न्यूरो सर्जरी और कम्युनिटी मेडिसिन विभाग से जुड़े हुए हैं।
दूसरी ओर, डॉक्टरों की कमी के कारण पीजी की सीटों पर संकट बना हुआ है। वेतन और अवकाश में कमी, काम की अधिकता को भी इसका कारण बताया जा रहा है।पिछले महीने तीन सितंबर को 113 पदों पर इंटरव्यू हुए, जिसमें महज 25 डॉक्टर पहुंचे थे। ज्वाइनिंग में कई डॉक्टरों के दिलचस्पी नहीं दिखाए जाने के कारण रिजल्ट अटका हुआ है।
विगत दिनों सरकार ने सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का वेतन बढ़ाकर मैदानी क्षेत्र में चार लाख और पहाड़ी क्षेत्रों में पांच लाख तक किया था, लेकिन, डॉक्टरों के बीच इस आदेश को लेकर असमंजस की स्थिति है।
चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने कहा, ‘मेडिकल कॉलेजों को सरकार के आदेश का पालन करने को कहा है। वेतन बढ़ोतरी को लेकर असमंजस की स्थिति है तो वे वित्त नियंत्रक से राय लें। सुझाव है तो निदेशालय को बताएं। फैकल्टी की वेतन बढ़ोतरी को मेडिकल कॉलेजों से प्रस्ताव मांगे गए हैं।
उत्तराखंड के सरकारी डॉक्टरों को पीजी करने के दौरान पूरा वेतन नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट में इस संदर्भ में चल रहे एक केस और डॉक्टरों के लिए पीजी के कई तरह के कोर्स को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। दरअसल, राज्य के सरकारी डॉक्टरों को पीजी के दौरान 50 फीसदी वेतन मिलता है। लंबे समय से डॉक्टर पीजी के दौरान पूरा वेतन देने की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस संदर्भ में घोषणा भी की थी, लेकिन इसके बावजूद इस संदर्भ में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।