प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि गाय-बैल रखना या उन्हें यूपी के भीतर एक से दूसरे स्थान पर ले जाना गोहत्या निषेध कानून-1955 के तहत अपराध के दायरे में नहीं आएगा। कोर्ट ने कुशीनगर जिले के रहने वाले कुंदन यादव की जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए कहा कि सरकारी वकील यह साबित करने के लिए कोई तथ्य पेश नहीं किया है कि याचिकाकर्ता ने गाय की हत्या की या फिर गोहत्या का कारण बना।
अदालत ने कहा, जीवित गाय-बैल को रखना या उन्हें प्रदेश में एक से दूसरे स्थान पर ले जाना महज कानून के दायरे में नहीं आएगा। किसी गाय या उसके बछड़े को किसी तरह की चोट पहुंचाई गई, जिससे उसका जीवन खतरे में आ गया, यह प्रदर्शित करने के लिए कोई तथ्य पेश नहीं किया गया। हाई कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता गोहत्या निषेध कानून के प्रावधानों के तहत दोषी नहीं है। इसलिए जमानत अर्जी स्वीकार की जाती है।
मार्च से जेल में बंद था कुंदन यादवया
चिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा कि उसके मुवक्किल को इस मामले में झूठा फंसाया गया है। गोमांस की बरामदगी का कोई गवाह नहीं है। एक वाहन से छह गाय बरामद की गई थीं, लेकिन कथित अपराध से याचिकाकर्ता का संबंध साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं हैं। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता 6 मार्च, 2023 से जेल में बंद है, जबकि सह-आरोपी गोलू और गुड्डू यादव को पहले ही जमानत पर रिहा किया जा चुका है। अदालत द्वारा यह आदेश 24 मई 2023 को पारित किया गया था। हाल ही में इसे हाई कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।