दिल्ली न्यूज़ : केंद्रीय विद्यालय में सांसदों और जिलाधिकारियों के कोटे से बच्चों के एडमिशन पर रोक लगा दी गई है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद अब सांसद और जिलाधिकारी अपने कोटे से बच्चों को प्रवेश नहीं दिला सकेंगे. यह नियम अब अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा.
दरअसल, बीते हफ्ते लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने देश के केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा की सीटों को बढ़ाने या इसे खत्म करने की मांग सदन के सामने रखी थी, तभी से इसको लेकर सियासी चर्चा शुरू हो गई थी. कई सांसदों ने इस कोटे को भेदभावपूर्ण बताकर खत्म करने की मांग की थी, तो कई इसे खत्म करने के बजाय सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे.
इसके बाद इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सभी दलों को चर्चा करने का निर्देश दिया था. चर्चा के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि सदन इस पर फैसले करेगा कि कोटे को बढ़ाया जाए या फिर खत्म कर दिया जाए. इसके बाद केंद्र सरकार का यह फैसला आया है.
10 छात्रों के एडमिशन का था अधिकार
अब तक हर सांसद 10 और विद्यालय प्रबंधक समिति (School Management Committee) अध्यक्ष के नाते हर कलेक्टर अपने जिले के प्रत्येक केंद्रीय विद्यालय में न्यूनतम 10 छात्रों का रजिस्ट्रेशन अपने कोटे से करा सकता था.
बढ़ जाएंगी 30 हजार सीट
सांसद और जिलाधिकारी कोट खत्म होने को लेकर बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट किया है. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि सांसद कोटे से 7,500 और कलेक्टर कोटे से 22,000 छात्रों के दाखिले होते रहे हैं. ऐसे में रजिस्ट्रेशन में न आरक्षण के नियमों का पालन होता था और न ही योग्यता को आधार बनाया जाता था. दाखिले को कोटा मुक्त करने से आरक्षण और योग्यता के आधार पर रजिस्ट्रेशन के लिए एक झटके में 30 हजार सीटें बढ़ जाएंगी. इसका लाभ एससी, एससी, ओबीसी और EWS वर्ग के बच्चों को मिलेगा.